2025 में महिलाओं के पैतृक संपत्ति अधिकार पर नया सुप्रीम कोर्ट का फैसला।
2025 में महिलाओं के पैतृक संपत्ति अधिकार पर नया सुप्रीम कोर्ट का फैसला। नए कानून के तहत महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा। जानिए इसकी शर्तें और कानूनी पहलू।
परिचय:
2025 में महिलाओं के पैतृक संपत्ति अधिकार पर नया सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया,
भारत में संपत्ति कानूनों को लेकर हमेशा बदलाव होते रहे हैं।
खासतौर पर महिलाओं के पैतृक संपत्ति के अधिकार को लेकर कई अहम फैसले दिए गए हैं।
हाल ही में, जिसमें कहा गया कि महिलाओं को अब पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा।
हालांकि, यह फैसला कुछ शर्तों के साथ लागू किया गया है।
इस लेख में हम आपको इस नए कानून के सभी पहलुओं की जानकारी देंगे।
महिलाओं के संपत्ति अधिकारों का इतिहास:
1956 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का प्रारंभ
1956 में लागू हुए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के अनुसार,
शुरू में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं दिया गया था।
इसका अर्थ था कि परिवार की पैतृक संपत्ति केवल पुरुष उत्तराधिकारियों में ही विभाजित होती थी।
2005 बड़ा संशोधन और समान अधिकार
समय के साथ महिलाओं के अधिकारों की मांग बढ़ी, और 2005 में इस कानून में संशोधन किया गया।
- इस संशोधन के तहत, महिलाओं को पुरुषों के समान पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया गया।
- चाहे महिला का जन्म 2005 से पहले हुआ हो या बाद में, वह संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार बनी।
2020 सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा केस (11 अगस्त 2020) में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि –
यदि किसी महिला के पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई थी, लेकिन संपत्ति का विभाजन नहीं हुआ था, तो वह संपत्ति में समान अधिकार रखेगी।
जन्म की तिथि मायने नहीं रखेगी, यदि पैतृक संपत्ति 2005 के बाद भी अविभाजित है, तो महिला उसका हिस्सा मांग सकती है।
2025 का नया कानून – महिलाओं के लिए बड़ा झटका?
जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने नए फैसले में कहा कि महिलाओं को अब पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी रखी गई हैं:
1 अगर संपत्ति पहले से विभाजित हो चुकी है, तो महिला कोई दावा नहीं कर सकती।
2 अगर पिता ने वसीयत में किसी और के नाम कर दी हो, तो महिला को कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
3 अगर परिवार ने संपत्ति को पहले ही बेच दिया है, तो महिला उस पर दावा नहीं कर सकती।
इसका अर्थ यह हुआ कि अगर संपत्ति का विभाजन या ट्रांसफर पहले ही हो चुका है,
तो महिलाएं 2005 के संशोधन का लाभ नहीं उठा पाएंगी।
नए कानून के प्रभाव
✅ महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार खत्म होने से कानूनी विवाद कम होंगे।
✅ परिवारों में संपत्ति के बंटवारे को लेकर नए विवाद सामने आ सकते हैं।
✅ महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और संपत्ति सुरक्षा के लिए वैकल्पिक उपाय खोजने होंगे।
निष्कर्ष:
2025 का नया कानून महिलाओं के पैतृक संपत्ति के अधिकार को सीमित करता है,
लेकिन यह कुछ शर्तों के साथ लागू किया गया है।
यदि संपत्ति का बंटवारा पहले ही हो चुका है या कानूनी रूप से ट्रांसफर हो गई है,
तो महिलाएं अब उस पर दावा नहीं कर सकतीं। हालांकि, महिलाओं को अपने अधिकारों की सही जानकारी रखना आवश्यक है,
ताकि वे किसी भी कानूनी भेदभाव का सामना करने के लिए तैयार रहें।
किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपने एडवोकेट से परामर्श जरूर लें।
आप इस नए फैसले के बारे में क्या सोचते हैं? कमेंट में अपनी राय साझा करें!