“सेल डीड बनाम मालिकाना हक: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जानें ये बातें”

"सेल डीड बनाम मालिकाना हक - प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जानें ज़रूरी बातें। एक तुलनात्मक दृष्टिकोण जिसमें सेल डीड (बिक्री नाम) और प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के बीच का अंतर बताया गया है। सही दस्तावेज़ों की जांच और कानूनी प्रक्रिया को समझने की सलाह दी गई है ताकि खरीदारी सुरक्षित हो।"“सेल डीड बनाम मालिकाना हक – प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जानें ज़रूरी बातें।

जब भी प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने की बात होती है, तो सबसे पहले “सेल डीड” या “बिक्रीनामा” का जिक्र आता है। आम नागरिकों के लिए, जो कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं से अनजान होते हैं, सेल डीड संपत्ति खरीदने का मुख्य माध्यम माना जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सेल डीड केवल लेन-देन का प्रमाण है, न कि स्वामित्व का अंतिम दस्तावेज़? यह बात हर प्रॉपर्टी खरीदार के लिए जानना बेहद जरूरी है। “सेल डीड बनाम मालिकाना हक: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जानें ये बातें”

सेल डीड क्या है?

सेल डीड एक रजिस्टर्ड दस्तावेज़ है, जिसके माध्यम से विक्रेता (Seller) संपत्ति को खरीदार (Buyer) को बेचता है। यह दस्तावेज़ संपत्ति के लेन-देन का प्रमाण देता है और ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, की धारा 54 के तहत आवश्यक है। अगर प्रॉपर्टी का मूल्य ₹1 या उससे अधिक है, तो इसका रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 17 के तहत अनिवार्य हो जाता है।

हालांकि, यहां एक बड़ी भ्रांति है – लोग मानते हैं कि रजिस्टर्ड सेल डीड संपत्ति का स्वामित्व प्रमाणित करती है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों के अनुसार, यह धारणा पूरी तरह गलत है। “सेल डीड बनाम मालिकाना हक: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जानें ये बातें”

सेल डीड के माध्यम से क्या साबित नहीं होता?

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसले यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सेल डीड निम्नलिखित बातों को साबित नहीं करती:

1. मालिकाना हक (Ownership):
टाइटल ओनरशिप का प्रमाण नहीं:

सेल डीड संपत्ति बेचने और खरीदने का प्रमाण है, लेकिन यह यह नहीं दिखाता कि विक्रेता के पास संपत्ति बेचने का वैध अधिकार था।
यदि विक्रेता असली मालिक नहीं था और उसने धोखे से संपत्ति बेची, तो सेल डीड के आधार पर खरीदार स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

सावित्री बाई बनाम उत्तरदाता (सिविल अपील 9035/2013, 29 फरवरी 2024) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेल डीड स्वामित्व का अंतिम सबूत नहीं है।

2. संपत्ति का स्वभाव (Nature of Property): एग्रीकल्चरल, रेजिडेंशियल, या कमर्शियल प्रॉपर्टी:

सेल डीड संपत्ति की प्रकृति (कृषि भूमि, आवासीय, या वाणिज्यिक) को प्रमाणित नहीं करती।
इसके लिए रेवेन्यू अथॉरिटी से प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होता है।
दिल्ली हाई कोर्ट (8 नवंबर 2024) के एक फैसले ने यह भी कहा कि केवल सेल डीड के आधार पर संपत्ति की प्रकृति को प्रमाणित नहीं किया जा सकता।

3. गिरवी या लोन की स्थिति:
अगर संपत्ति किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्था के पास गिरवी है, तो इसका विवरण सेल डीड में अनिवार्य रूप से शामिल नहीं होता।
इसलिए, खरीदारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे रजिस्ट्री से पहले सभी आवश्यक कानूनी जांच करवा लें।

4. संपत्ति पर विवाद या कब्जा:
अगर संपत्ति पर किसी तीसरे पक्ष का कब्जा है या कोई विवाद चल रहा है, तो सेल डीड इसका सबूत नहीं देती।
कोर्ट इस स्थिति में संपत्ति के पुराने स्वामित्व रिकॉर्ड और चेन ऑफ टाइटल की जांच करता है।
क्या करना चाहिए?
जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हों, तो केवल सेल डीड पर निर्भर रहना एक बड़ी गलती हो सकती है। इसके बजाय, आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

1. टाइटल वेरिफिकेशन करें:
विक्रेता का मालिकाना हक सुनिश्चित करें।
स्थानीय रेवेन्यू ऑफिस से प्रॉपर्टी के पुराने रिकॉर्ड और चेन ऑफ टाइटल (Ownership History) की जांच करें।

2. लोन और गिरवी की जांच करें:
सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी किसी बैंक के पास गिरवी नहीं है।
इस बात की पुष्टि करें कि संपत्ति पर किसी भी प्रकार का ऋण लंबित नहीं है।

3. कानूनी सलाह लें:
किसी अनुभवी वकील से सलाह लें जो प्रॉपर्टी कानून में विशेषज्ञ हो।
वकील से रजिस्टर्ड दस्तावेज़, एनओसी (No Objection Certificate), और अन्य कानूनी दस्तावेजों की जांच करवाएं।

4. रेवेन्यू अथॉरिटी से सर्टिफिकेट प्राप्त करें:
संपत्ति की प्रकृति (कृषि, आवासीय, या वाणिज्यिक) का प्रमाण रेवेन्यू अथॉरिटी से लेना जरूरी है।

5. भविष्य के विवादों के लिए तैयार रहें:
अगर कोई विवाद होता है, तो केवल सेल डीड दिखाकर आप स्वामित्व साबित नहीं कर पाएंगे।
कोर्ट में अन्य कानूनी दस्तावेज़ और प्रॉपर्टी का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत करना होगा।

निष्कर्ष:
सेल डीड संपत्ति लेन-देन का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, लेकिन इसे स्वामित्व का अंतिम प्रमाण मान लेना गलत है। एक समझदार खरीदार के रूप में, आपको प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सभी आवश्यक कानूनी जांच करानी चाहिए और कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

अगर आप संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लाखों और करोड़ों रुपये बचा सकती है। याद रखें, सतर्कता और कानूनी समझदारी ही आपको धोखाधड़ी और विवादों से बचा सकती है।

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