"म्यूटेशन और रेवेन्यू रिकॉर्ड से प्रॉपर्टी मालिकाना हक पाने के नए कानून की जानकारी देता एक लेख।"

म्यूटेशन (दाखिल खारिज) का कानून: मालिकाना हक, विवाद और सुप्रीम कोर्ट के फैसले।

 

म्यूटेशन (दाखिल खारिज) का कानून: "म्यूटेशन और रेवेन्यू रिकॉर्ड से प्रॉपर्टी मालिकाना हक पाने के नए कानून की जानकारी देता एक लेख।"

म्यूटेशन (दाखिल खारिज) का कानून:
मालिकाना हक, विवाद और सुप्रीम कोर्ट के फैसले।

म्यूटेशन (दाखिल खारिज) का कानून: जब संपत्ति की मालिकाना हक की बात आती है, तो म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) और रेवेन्यू रिकॉर्ड्स का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन क्या केवल म्यूटेशन में नाम चढ़ जाने से कोई संपत्ति का मालिक बन जाता है? कई लोग इस भ्रम में रहते हैं कि रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज होने का मतलब संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करना है। इस ब्लॉग में हम इस विषय को विस्तार से समझेंगे और यह भी जानेंगे कि म्यूटेशन के दौरान उत्पन्न होने वाली कानूनी समस्याओं से कैसे निपटा जा सकता है।

म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) क्या है?

म्यूटेशन एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसके तहत संपत्ति का स्वामित्व रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में अपडेट किया जाता है। यह मुख्यतः दो स्थितियों में होता है:

  1. उत्तराधिकार (Inheritance): यदि संपत्ति के मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारियों (पत्नी, बच्चे, पोते आदि) का नाम संपत्ति पर दर्ज किया जाता है।
  2. संपत्ति का क्रय-विक्रय (Sale & Purchase): जब कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता है, तो पुराने मालिक का नाम हटाकर नए मालिक का नाम दर्ज किया जाता है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

जिस व्यक्ति का नाम रिकॉर्ड से हटाया जाता है, उसे “खारिज” कहा जाता है।
जिस व्यक्ति का नाम जोड़ा जाता है, उसे “दाखिल” कहा जाता है।
कुछ स्थानों पर इसे “जमाबंदी” या “म्यूनिसिपल रिकॉर्ड्स” भी कहा जाता है।

क्या म्यूटेशन संपत्ति का स्वामित्व प्रमाणित करता है?
यह एक आम धारणा है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम दाखिल-खारिज में दर्ज हो गया, तो वह संपत्ति का कानूनी मालिक बन गया।
लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण:
सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि म्यूटेशन केवल फिस्कल (राजस्व) उद्देश्यों के लिए होता है,
न कि संपत्ति के कानूनी स्वामित्व के प्रमाण के रूप में।

संबंधित सुप्रीम कोर्ट जजमेंट:
📜 जितेंद्र सिंह बनाम मध्य प्रदेश सरकार (SLP No. 13146/2021, दिनांक 6 सितंबर 2021)
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि म्यूटेशन एंट्री केवल टैक्स संग्रहण के लिए होती है और यह किसी व्यक्ति को स्वामित्व का अधिकार नहीं देती।

म्यूटेशन का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति संपत्ति का स्वामी है।
यह केवल संपत्ति के कब्जे और कर भुगतान का संकेत देता है।
कोर्ट में म्यूटेशन एंट्री दिखाकर स्वामित्व साबित नहीं किया जा सकता।

क्या विवादित संपत्ति पर म्यूटेशन किया जा सकता है?
यदि किसी संपत्ति पर विवाद चल रहा है, तो अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे में रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में नाम चढ़ाया जा सकता है?

उत्तर: हां, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
यदि कोर्ट ने स्टे ऑर्डर (Stay Order) या इंजंक्शन (Injunction Order) जारी नहीं किया है, तो म्यूटेशन कराया जा सकता है।

💡 महत्वपूर्ण जजमेंट:
📜 डॉ. पी. पंजनी बनाम आंध्र प्रदेश सरकार (WP No. 1198/2022, दिनांक 28 सितंबर 2022)

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि कोर्ट केस के पेंडिंग रहने मात्र से म्यूटेशन नहीं रोका जा सकता।
यदि संपत्ति पर कोई स्टे ऑर्डर नहीं है, तो व्यक्ति रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा सकता है।
📜 सत्यनारायण बनाम राजस्थान सरकार (Civil Writ Petition No. 1818/2024, दिनांक 2 दिसंबर 2024)

राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई बोनाफाइड खरीदार (Good Faith Buyer) है और उसने संपत्ति खरीद ली है,
तो कोर्ट केस पेंडिंग होने के आधार पर म्यूटेशन रोकना अवैध होगा।
जब तक कोई स्टे ऑर्डर नहीं है, तब तक प्रशासन को म्यूटेशन करना ही होगा।

म्यूटेशन के लिए आवेदन कैसे करें?
यदि आप संपत्ति के नए मालिक हैं और म्यूटेशन कराना चाहते हैं, तो निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:

1️⃣ संबंधित तहसील कार्यालय या म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में आवेदन करें।
2️⃣ समर्थन दस्तावेज जमा करें:

सेल डीड (Sale Deed)
उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Legal Heir Certificate)
कर भुगतान रसीद (Tax Receipts)
पहचान प्रमाण (Aadhaar, PAN)
3️⃣ यदि म्यूटेशन आवेदन खारिज होता है, तो हाई कोर्ट में रिट पिटीशन (Writ Petition) दायर करें।

निष्कर्ष:
म्यूटेशन केवल रेवेन्यू रिकॉर्ड्स अपडेट करने की प्रक्रिया है, स्वामित्व का प्रमाण नहीं।
कोर्ट केस पेंडिंग होने के बावजूद, स्टे ऑर्डर नहीं होने की स्थिति में म्यूटेशन किया जा सकता है।
यदि तहसीलदार या प्रशासन म्यूटेशन से मना करता है, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
💡 सलाह:
यदि आप संपत्ति खरीद रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि उसके दस्तावेज़ कानूनी रूप से सही हैं और उस पर कोई विवाद लंबित नहीं है।

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