“अविभाजित संपत्ति बेचने के कानूनी नियम: जानिए क्या हैं सही प्रक्रिया और जोखिम”

“अविभाजित संपत्ति बेचने के कानूनी नियम:“अविभाजित संपत्ति बेचने के कानूनी नियम: जानिए क्या हैं सही प्रक्रिया और जोखिम”

“अविभाजित संपत्ति बेचने के कानूनी नियम:

हाल के दिनों में, अविभाजित संपत्ति, जिसमें एक से अधिक हिस्सेदार होते हैं, को बेचना एक आम समस्या बन चुकी है।
ऐसी स्थिति में खासतौर पर कानूनी सवाल उठते हैं, जब संपत्ति का अब तक विधिक बंटवारा नहीं हुआ हो।
आइए जानते हैं “अविभाजित संपत्ति बेचने के कानूनी नियम:के बारे में,
हाल ही में 2024 में आई सर्वोच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण जजमेंट के संदर्भ में, और समझते हैं।
इस प्रकार की परिस्थितियों में कानून क्या कहता है।

अविभाजित संपत्ति क्या है?
अविभाजित संपत्ति वह संपत्ति होती है, जिसमें एक से अधिक लोग मालिक होते हैं, लेकिन अभी तक उसे कानूनी रूप से विभाजित नहीं किया गया है।
ऐसी संपत्तियों में कोई आधिकारिक दस्तावेज या कोर्ट का आदेश नहीं होता,
जिससे यह स्पष्ट हो कि किस हिस्सेदार के पास किस हिस्से की संपत्ति है।

अविभाजित संपत्ति को बेचने में समस्या:
एक आम स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कोई हिस्सेदार संपत्ति को बेचना चाहता है। यदि संपत्ति का कानूनी बंटवारा नहीं हुआ है,
तो सवाल उठता है कि क्या वह केवल अपने हिस्से को बेचने के लिए दूसरे हिस्सेदारों की अनुमति ले सकता है या नहीं।
यह स्थिति अक्सर तब उत्पन्न होती है जब हिस्सेदार एक मौखिक समझौते के तहत संपत्ति का बंटवारा करने का दावा करते हैं,
लेकिन कभी भी उसे कानूनी तौर पर दर्ज नहीं कराते हैं।

कानूनी निर्णय:
सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
एक प्रमुख निर्णय रामदास सीताबाई मामले से आया था,
जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर संपत्ति का कानूनी बंटवारा नहीं हुआ है,
तो कोई भी हिस्सेदार केवल अपनी हिस्सेदारी को बेचने का दावा नहीं कर सकता।
इसका मतलब है कि जब तक संपत्ति को आधिकारिक तौर पर विभाजित नहीं किया जाता,
तब तक यह तय नहीं हो सकता कि कौन सा हिस्सा किसके पास जाएगा।

No-Objection Certificate (NOC) का महत्व:
अविभाजित संपत्ति को बेचने का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि यदि एक हिस्सेदार बिना अन्य हिस्सेदारों की अनुमति के संपत्ति बेचता है,
तो भविष्य में कानूनी विवाद हो सकता है।
इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बेचनें वाला हिस्सेदार अन्य हिस्सेदारों से No-Objection Certificate (NOC) प्राप्त करे।
यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि सभी हिस्सेदार संपत्ति की बिक्री पर सहमत हैं और भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बच सकते हैं।।

अगर एक हिस्सेदार अपनी हिस्सेदारी से अधिक बेच दे तो क्या होगा?
कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि कोई हिस्सेदार अपनी निर्धारित हिस्सेदारी से अधिक संपत्ति बेच देता है, चाहे वह जानबूझकर हो या गलती से।
इस स्थिति में, कानून द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसी बिक्री को मान्यता नहीं दी जाएगी, और बाकी हिस्सेदारों का अधिकार सुरक्षित रहेगा।

2024 में सर्वोच्च न्यायालय का ताजा निर्णय:
10 सितंबर 2024 को सर्वोच्च न्यायालय में एक महत्वपूर्ण मामला सुनवाई में आया,
जिसमें एक हिस्सेदार ने अपनी हिस्सेदारी से अधिक संपत्ति बेच दी थी।
एस.के. गोलमल लालचंद्र बनाम नंदू लाल शाह मामले में,
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी हिस्सेदारी से अधिक संपत्ति बेचता है,
तो कोई तीसरा पक्ष उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता।
इस निर्णय में यह भी कहा गया कि यदि संपत्ति का कानूनी रूप से बंटवारा नहीं हुआ है,
तो सभी हिस्सेदारों से अनुमति लेना अनिवार्य है।

निष्कर्ष:
अविभाजित संपत्ति को बेचना बिना कानूनी सावधानियों के जटिल हो सकता है।
अगर संपत्ति का बंटवारा कानूनी रूप से नहीं हुआ है,
तो किसी भी हिस्सेदार को अन्य हिस्सेदारों से सहमति प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है।
इसके लिए No-Objection Certificate (NOC) प्राप्त करना सबसे सुरक्षित तरीका है।
अगर यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं की जाती है,
तो भविष्य में संपत्ति के बारे में कानूनी विवाद हो सकते हैं,
और संपत्ति की बिक्री को चुनौती दी जा सकती है।

यदि आप किसी ऐसी संपत्ति को खरीदने का विचार कर रहे हैं, जहां कई हिस्सेदार हों,
तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि संपत्ति का कानूनी बंटवारा हो चुका है और सभी हिस्सेदार बिक्री के लिए सहमत हैं।
इन कानूनी कदमों को अपनाकर आप भविष्य में किसी भी विवाद से बच सकते हैं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *